हिंदी शायरी

बहकते हुए फिरतें हैं कई लफ्ज़ जो दिल में दुनिया ने दिया वक़्त तो लिखेंगे किसी रोज़....

Monday, May 23, 2016

माँ के कदमो को ही जन्नत मानता हुँ....

मुझे कोई और जन्नत का नहीं पता क्योंकि.... 
मैं माँ के कदमो को ही जन्नत मानता हुँ....!!



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