हिंदी शायरी

बहकते हुए फिरतें हैं कई लफ्ज़ जो दिल में दुनिया ने दिया वक़्त तो लिखेंगे किसी रोज़....

Sunday, August 28, 2016


नज़र को तेरी
जुस्तजू चाहिए है
नहीं और कुछ 
आरज़ू चाहिए है

समंदर जज़ीरे 
फलक चाँद सूरज
तुम्हारी महक 
कू- ब- कू चाहिए है


मुझे इश्क़ करने 
को सूरत कोई सी
तुम्हारी तरह 
हू- ब- हू चाहिए है

दुआ ही नहीं कुछ 
असर भी मिले अब
मरीज़े- मुहब्बत 
को तू चाहिए है

Friday, August 26, 2016

 
बस तू नजर आये

जब भी याद करू खुदा को ,
बस तू नजर आये

कि तुझमे मुझे अपना खुदा नजर आये ।

ये कैसी हवाये चलने लगी हैं , 
आज कल



कि हर झोके में लिपटा मुझे तेरा प्यार नजर आये ।

कभी उदासी तो कभी ख़ुशी ,
कैसा भी वक्त हो

तेरे साथ हर पल में मुझे जन्नत नजर आये ।

कैसे कहूं कि मुझे मोहब्बत नहीं है तुमसे

कि मुझे हर चेहरे में बस तेरा चेहरा नजर आये ।

Thursday, August 25, 2016

सहती रहो माँ ने कहा था।

सहती जाओगी तो धरती कहलाओगी दादी ने कहा।
फिर वो भी कभी बही सरिता बन
कभी पहाड़ हो गई कभी किसी अंकुर की माँ हो गई
पर मुँह से एक शब्द भी नहीं निकाला।






एक स्त्री से अन्य तक पहुँची यही बात

सब अपनी-अपनी जगह होती चली गई जड़वत्
बनती चली गई धरती जैसी।


हर धरती के आसपास रहा कोई चाँद
तपिश भी देता रहा कोई सूरज
तब से पूरा का पूरा

सौर मंडल साथ लिए घूमने लगी है स्त्री ।
9 अगस्त को तकरीबन 5 बजे देवघर के बेलाबगान इलाके के मंदिर के पास कतार में लगे कांवरिये अफरातफरी मचाने लगते हैं. जल्दी जल चढ़ाने की होड़ में पुलिस के घेरे और अनुशासन को तोड़ डालते हैं और उस के बाद शुरू हुई धक्कामुक्की भगदड़ में बदल जाती है. देखते ही देखते ‘बोल बम’ का जयकारा चीखपुकार में बदल जाता है. हर ओर से रोने और चिल्लाने की आवाजें आने लगती हैं. शिव को जल चढ़ाने के लिए 100 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी पैदल तय कर के देवघर पहुंचे अंधभक्ति में डूबे कांवरियों की जान तथाकथित ईश्वर शिव भी नहीं बचा सके. धर्म के नाम पर लगने वाले मजमों में भगदड़ मचना अब नई बात नहीं रह गई है. सरकार और प्रशासन के खासे बंदोबस्त के बावजूद भगदड़ मचती है और बेतहाशा मौतें होती हैं. ऐसी भगदड़ों के पीछे पोंगापंथियों का उपद्रव ही होता है. भीड़ में होने की वजह से वे किसी की सुनते नहीं और अपनी मनमानी करते हैं.

हर साल सावन के महीने में बिहार के भागलपुर जिले के सुल्तानगंज कसबे से कांवर ले कर लोग पैदल झारखंड में देवघर शहर के शिवमंदिर तक जाते हैं. सुल्तानगंज में गंगा नदी उत्तरवाहिनी है. सुल्तानगंज में अजगैबीनाथ मंदिर में पूजा करने के बाद गंगा का पानी ले कर लोग 110 किलोमीटर पैदल चल कर देवघर के शिवमंदिर तक पहुंचते हैं. सुल्तानगंज से ले कर देवघर तक अंधविश्वास का खुला खेल चलता है. भगवा रंग के कपड़े पहने और कंधे पर कांवर उठाए ज्यादातर शिवभक्त खुद को किसी बादशाह से कम नहीं समझते हैं. रास्ते में कानून की धज्जियां उड़ाना और मनमानी करना उन का शगल होता है. कांवरियों की भीड़ में चलने वाले अधिकतर लोग पूजा के नाम पर पिकनिक का मजा लूटते हैं.

8 अगस्त को सुल्तानगंज में कांवरियों की टोली में शामिल होने के बाद मुझे यह स्पष्ट हो गया कि ज्यादातर कांवरियों को पूजापाठ से कोईर् मतलब नहीं होता है. वे तो भीड़ में शामिल हो कर मजे लूटते हैं और डीजे के कानफाड़ू संगीत में लड़कियों व औरतों पर फब्तियां कसते हैं. धर्म और अंधविश्वास के सागर में सिर तक डूबे कांवरिये ‘बोल बम’ का नारा लगाते हुए शरारती कांवरियों की बदमाशियों को यह कह कर अनदेखा कर देते हैं कि लफंगों की करतूतों को भगवान देख रहा है, वही सबक सिखाएगा . कांवर यात्रा के दौरान तारपुर के पास मिले पटना सिविल कोर्ट के वकील प्रवीण कुमार बताते हैं कि कांवरियों की भीड़ में कई लुच्चेलफंगे शामिल रहते हैं, जिन का मकसद छींटाकशी और छेड़खानी करना ही होता है. ऐसे ही लोगों की वजह से उपद्रव और भगदड़ का माहौल पैदा हो जाता है. कांवरिये यह दिखाने की कोशिश करते हैं कि वे भगवान के भक्त हैं और गंगा का पवित्र जल ले कर शिवलिंग पर चढ़ाने जा रहे हैं. लेकिन टोली में ज्यादातर लोग भांग, गांजा और खैनी के नशे में रहते हैं. जहांतहां रुक कर गांजा और भांग पी कर ये कांवरिये नशे में बौराते दिख जाते हैं.

पूर्णियां के भट्ठा बाजार महल्ले में रहने वाले प्रौपर्टी डैवलपर उमेशराज सिंह बताते हैं कि वे पिछले 12 सालों से हर साल कांवर ले कर देवघर जाते हैं और हर साल कांवरियों की मनमौजी व नशा करने की लत को देखते रहे हैं. किसी कांवरिये को जब गांजा और भांग आदि पीने से मना किया जाता है तो वह एक ही जबाब देता है कि शिव के भक्त नशा नहीं करेंगे तो शिव प्रसन्न ही नहीं होंगे. कांवरियों की कांवर यात्रा के बीच इस बात का भी खुलासा हुआ है कि कांवर के नाम पर धर्म की दुकान चलाने वालों के कारोबार व मुनाफे  में कंपनी, होलसैलर, दुकानदार से ले कर पंडों तक की हिस्सेदारी होती है. कांवरिया अपने साथ टौर्च, 2 जोड़ी कपड़े, गमछा, तौलिया, चादर, मोमबत्ती, माचिस, गिलास, लोटा, कांवर आदि ले कर चलता है. यात्रा के लिए ये सभी चीजें नई ही खरीदी जाती हैं. पुराने कपड़ों या गिलास आदि का उपयोग नहीं किया जाता है.

एक कांवरिये को कम से कम 2 हजार रुपए का सामान खरीदना पड़ता है. एक महीने में करीब 60 लाख कांवरिये देवघर जाते हैं. इस लिहाज से हिसाब करें तो कांवरिये करीब 1,200 करोड़ रुपए की खरीदारी एक महीने के अंदर ही करते हैं. इस के अलावा चूड़ा, इलायचीदाना, बद्धी (सूत की माला) आदि को खरीदने पर एक कांवरिया कम से कम 500 रुपए खर्च करता है. इस के बाजार का आकलन करें तो यह 3 हजार करोड़ रुपए का होता है. इस के अलावा कांवर के बगैर भी देवघर पहुंच कर शिवलिंग पर जल चढ़ाने वालों का अलग ही आंकड़ा है. पोंगापंथ के नाम पर लोग 20 हजार करोड़ रुपए लुटा देते हैं. कांवरयात्रा के साथ जब जलेबिया इलाके में पहुंचे तो वहां लूट और ठगी का अलग ही नजारा देखने को मिला. सड़कों के किनारे खाली पड़ी सरकारी जमीनों पर जहांतहां शामियाने डाल कर स्थानीय दबंग कांवरियों को सोने के लिए जगह बेचते हैं. शामियाने के अंदर सोने के लिए जमीन देने के नाम पर हर कांवरिये से 50 रुपए वसूले जाते हैं. एक गिलास शरबत की कीमत 20 से 25 रुपए तक वसूली जाती है. धर्म के नाम पर आंखें बंद कर अपनी मेहनत की कमाई को लुटा कर कांवरिये इसी भ्रम में रहते हैं कि उन की तपस्या से खुश हो कर भगवान उन की हर कामना को पूरा कर देंगे, उन के घर पर धनदौलत की बारिश होगी और घरपरिवार में कोई समस्या नहीं रहेगी.
जलेबिया से 8 किलोमीटर आगे चलने के बाद तागेश्वर इलाका आता है. वहां पर सड़क के किनारे कांवर रखने के लिए बांस का स्टैंड बना हुआ है. पोंगापंथियों का मानना है कि कांवर में गंगा नदी के पानी से भरा लोटा या डब्बा लटका होता है, इसलिए कांवर को जमीन पर नहीं रखना चाहिए, इस से गंगा का पानी अपवित्र हो जाता है. पंडेपुजारी ही धर्म की किताबों व प्रवचनों में ढोल पीटते रहे हैं कि गंगा का पानी हर अपवित्र चीज को पवित्र कर देता है. गंगा का पानी समाज की हर गंदगी को बहा ले जाता है. ऐसे में गंगा के पानी से भरे डब्बे को जमीन पर केवल रखने मात्र से वह पानी अपवित्र कैसे हो जाता है? मुजफ्फरपुर के कांटी इलाके की कांवरिया रुक्मिणी शर्मा से जब इस बारे में पूछा तो वे कहती हैं कि गंगा का पानी जमीन पर रखने से अपवित्र न हो, इसलिए कांवर को जहांतहां नहीं रख देना चाहिए. देवघर के शिवमंदिर में गंगाजल चढ़ाने के लिए 8-10 किलोमीटर लंबी कतार लग जाती है. 337 वर्गमीटर में फैले करीब ढाई लाख की आबादी वाले देवघर शहर में सावन महीने में हर दिन 2 लाख से ज्यादा कांवरिये पहुंचते हैं. ऐसे में प्रशासन के लिए कांवरियों की भीड़ को कंट्रोल करना बहुत बड़ी मुसीबत होती है. सावन में कांवर यात्रा के दौरान दुकानदारों, फुटपाथी दुकानदारों, होटलों और ढाबों को चलाने वालों की तो मानो लौटरी निकल पड़ती है.

देवघर के घंटाघर के पास छोटा सा ढाबा चलाने वाला एक व्यक्ति कहता है कि सावन के महीने का इंतजार तो देवघर के कारोबारी पूरे साल करते हैं. बाकी महीनों में जहां 20 से 30 हजार रुपए की आमदनी हर महीने होती है, वहीं केवल सावन में ढाई से 3 लाख रुपए की कमाई हो जाती है. 200 रुपए के कमरे के लिए लोग हजार रुपए तक देने में नानुकुर नहीं करते. क्योंकि उस दौरान किसी भी होटल में आसानी से जगह नहीं मिल पाती है. एक घंटे के लिए फ्रैश होने के लिए लोग 400 से 500 रुपए आसानी से दे देते हैं. वहीं दूसरी ओर, शहरवासियों के लिए पूरा महीना फजीहत से भरा होता है. देवघर में हर सड़क, गली, चौराहे पर जाम का नजारा रहता है. देवघर के रहने वाले राजीव पांडे कहते हैं कि सावन के महीने में कांवरियों की भीड़ की वजह से सड़कों पर चलना मुहाल हो जाता है. दफ्तर, स्कूल, मार्केट, अस्पताल आदि जाने में पसीने छूट जाते हैं. कंधे पर कांवर ले कर पता नहीं लोग खुद को क्या समझ लेते हैं, कोई गाड़ी कितना भी हौर्न बजाए, कांवरिये रास्ता नहीं छोड़ते हैं.
बुरा समय बीत जाता है लेकिन, बुरे लोग मुश्किलों में साथ देने की महँगी कीमत वसूलते हैं. 
इसलिए हमें खुद को इतना सक्षम बनाना चाहिए कि बुरे वक्त में भी किसी बुरे व्यक्ति की मदद न लेनी पड़े.

कर्ण ने बुरे समय में दुर्योधन की सहायता ली थी, 
इसलिए वह दुर्योधन का ऋणी बन गया.

दोस्ती की भी एक मर्यादा होती है और हमें उस मर्यादा को कभी नहीं टूटने देना चाहिए. 
क्योंकि मर्यादा टूटने के बाद दोस्ती दुश्मनी में बदल जाती है.

अगर आपके पास एक भी सच्चा दोस्त है, 
तो मुश्किलों का सामना आप आत्मविश्वास से करेंगे.


दोस्ती अपने उम्र वाले लोगों से हीं निभती है, 
बेमेल दोस्ती अतं में एक बुरी याद बन जाती है.

एक सच्चा दोस्त, सभी रिश्तेदारों पर भारी होता है.
बचपन की दोस्ती सबसे ज्यादा टिकती है.
किसी से दोस्ती करते वक्त चौकन्ने रहिए, 
क्योंकि कुछ लोग दोस्त बनकर पीठ में छूरा भोंकते हैं.

सफल वैवाहिक जीवन जीने वाले लोग आपस में बहुत अच्छे दोस्त होते हैं.
कई बार हमारे दुश्मन, हमें कुछ कर गुजरने के लिए मजबूर करते हैं.


जिन लोगों के पास बहुत ज्यादा दोस्त होते हैं, 
उनके पास कोई सच्चा दोस्त नहीं होता है. 
क्योंकि सच्चे दोस्त थोक के भाव पर नहीं मिलते हैं.

जो आपकी कमजोर नब्ज जानने के बावजूद, 
आपको परेशान न करें वही सच्चा दोस्त है. 
ऐसे दोस्त बहुत मिलते हैं,
इसलिए अपनी कमजोर नब्ज का किसी को पता न लगने दें, 
यही चिंतामुक्त रहने का मन्त्र है.

🎭गजब" "की" "बांसुरी" "बजती" "हैं"
"वृन्दावन" "में" "कन्हैया" "की"
"तारीफ" "करूँ" "मुरली" "की"
"या" "मुरलीधर" "कन्हैया" "की"
"जहाँ" "बस" "चलता" "न" "था"
"तीरों" "और" "कमानों" "से"
"वहां""जीत" "होती" "नटवर" "की"
"मुरली" "के". "तानों". "से"🎭

•""*•«#Զเधे_Զเधे¸¸.•*¨*



होंठों में बाँसुरिया चेहरे पर मुस्कान है।
दुःखो से उबार दे ऐसा मेरा श्याम है।।
जय श्री कृष्णा


Monday, August 8, 2016

अगर आप किसी को धोखा देने में कामयाब हो जाते हैं तो मान कर चलना की 
ऊपर वाला भी आपको धोखा देगा क्योकि उसके यहाँ हर बात का इन्साफ जरूर होता है
मुझे कौन याद करेगा इस भरी दुनिया में, 
हे ईशवर बिना मतल़ब के तो लोग तुझे भी याद नही करते
जिनमें संस्कारो और आचरण की कमी होती हैं वही लोग 
दूसरे को अपने घर बुला कर नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं
मेने कई अपनों को वास्तविक जीवन में शतरंज खेलते देखा है
जब आप गुस्सें में हो तब कोई फैसला न लेना 
और जब आप खुश हो तब कोई वादा न करना 

दुनिया में भगवान का संतुलन कितना अद्भुत हैं, 
100 कि.ग्रा.अनाज का बोरा जो उठा सकता हैं 
वो खरीद नही सकता और जो खरीद सकता हैं वो उठा नही सकता
 हँसते रहो तो दुनिया साथ हैं, वरना 
आँसुओं को तो आँखो में भी जगह नही मिलती
जो भाग्य में हैं वह भाग कर आयेगा और 
जो भाग्य में नही हैं वह आकर भी भाग जायेगा
घर आये हुए अतिथि का कभी अपमान मत करना, 
क्योकि अपमान तुम उसका करोगे और तुम्हारा अपमान समाज करेगा
कोई देख ना सका उसकी बेबसी 
जो सांसें बेच रहा हैं गुब्बारों मे डालकर
दुनिया में सिर्फ माँ-बाप ही ऐसे हैं 
जो बिना स्वार्थ के प्यार करते हैं
गलती कबूल़ करने और गुनाह छोङने में कभी देर ना करना, 
Q कि सफर जितना लंबा होगा वापसी उतनी ही मुशिकल हो जाती हैं
यदि कोई तुम्हें नजरअंदाज कर दे तो बुरा मत मानना Q कि ,,,,
लोग अक्सर हैसियत से बाहर मंहगी चीज को नजरंअदाज कर ही देते हैं....!!
मन में जो हैं साफ-साफ कह देना चाहिए Q कि 
सच बोलने से फैसलें होते हैं और झूठ बोलने से फासलें
यदि कोई व्यक्ति आपको गुस्सा दिलाने मे सफल रहता हैं 
तो समझ लीजिये आप उसके हाथ की कठपुतली हैं
 कितना कुछ जानता होगा वो शख़्स मेरे बारे में जो मेरे 
मुस्कराने पर भी जिसने पूछ लिया कि तुम उदास क्यों हो
 दुनिया के दो असम्भव काम- माँ की “ममता” 
और पिता की “क्षमता” का अंदाज़ा लगा पाना
इस दुनिया मे कोई किसी का हमदर्द नहीं होता, लाश को शमशान में रखकर,,,,,
अपने लोग ही पुछ्ते हैं.. और कितना वक़्त लगेगा.....!!
 यदि जीवन में लोकप्रिय होना हो तो सबसे ज्यादा ‘आप’ शब्द का,,,,,
उसके बाद ‘हम’ शब्द का और सबसे कम ‘मैं’ शब्द का उपयोग करना चाहिए.....!!
अपनी सफलता का रौब माता पिता को मत दिखाओ,,,,
उन्होनें अपनी जिंदगी हार के आपको जिताया हैं.....!!
इस तरह से अपना व्यवहार रखना चाहिए कि,,,,,
अगर कोई तुम्हारे बारे में बुरा भी कहे, तो कोई भी उस पर विश्वास न करे....!!
 हर प्रॉब्लम के दो सोल्युशन होते हैं..
भाग लो..(run away) भाग लो..(participate) पसंद आपको ही करना हैं
 जन्मों-जन्मों से टूटे रिश्ते भी जुड़ जाते हैं 
बस सामने वाले को आपसे काम पड़ना चाहिए
जब लोग अनपढ़ थे तो परिवार एक हुआ करते थे, 
मैने टूटे परिवारों में अक्सर पढ़े-लिखे लोग देखे हैं
 दुनिया में सबसे ज्यादा सपने तोड़े हैं 
इस बात ने,कि लोग क्या कहेंगे.. 
हर मित्रता के पीछे कोई न कोई स्वार्थ छिपा होता हैं 
ऐसी कोई भी मित्रता नही जिसके पीछे स्वार्थ न छिपा हो
जब तक तुम्हारें पास पैसा हैं, 
दुनिया पूछेगी भाई तू कैसा हैं
इंसान अपनी कमाई के हिसाब से नही,
अपनी जरूरत के हिसाब से गरीब होता हैं
अगर जिंदगी में सफल होना हैं तो 
पैसों को हमेशा जेब में रखना, दिमाग में नही
हर किसी को दिल में उतनी ही जगह दो जितनी वो देता हैं.. 
वरना या तो खुद रोओगे, या वो तुम्हें रूलाऐगा
सच्चा चाहने वाला आपसे प्रत्येक तरह की बात करेगा
आपसे हर मसले पर बात करेगा लेकिन धोखा देने वाला सिर्फ प्यार भरी बात करेगा।
इज्जत किसी आदमी की नही जरूरत की होती हैं. 
जरूरत खत्म तो इज्जत खत्म।
कैसी विडंबना हैं ! कुछ लोग जीते-जी मर जाते हैं
और कुछ लोग मर कर भी अमर हो जाते हैं 
ज़माना भी अजीब हैं, नाकामयाब लोगो का मज़ाक उड़ाता हैं 
और कामयाब लोगो से जलता हैं।
क़ाबिल लोग न तो किसी को दबाते हैं 
और न ही किसी से दबते हैं।

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