हिंदी शायरी

बहकते हुए फिरतें हैं कई लफ्ज़ जो दिल में दुनिया ने दिया वक़्त तो लिखेंगे किसी रोज़....

Monday, September 26, 2016

*रिपोर्टर* - आपका प्रकोप दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा है ? क्यों ?
*मच्छर* -  सही शब्द इस्तेमाल कीजिये, इसे प्रकोप नहीं फलना-फूलना कहते हैं. पर तुम इंसान लोग तो दूसरों को फलते-फूलते देख ही नहीं सकते न ? आदत से मजबूर जो ठहरे.
*रिपोर्टर* - हमें आपके फलने-फूलने से कोई ऐतराज़ नहीं है पर आपके काटने से लोग जान गँवा रहे हैं, जनता में भय व्याप्त हो गया है ?
*मच्छर* - हम सिर्फ अपना काम कर रहे हैं. श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि ‘कर्म ही पूजा है’. अब विधाता ने तो हमें काटने के लिए ही बनाया है, हल में जोतने के लिए नहीं ! जहाँ तक लोगों के जान गँवाने का प्रश्न है तो आपको मालूम होना चाहिए कि “हानि-लाभ, जीवन-मरण, यश-अपयश विधि हाथ’ …!
*रिपोर्टर* - लोगों की जान पर बनी हुई है और आप हमें दार्शनिकता का पाठ पढ़ा रहे हैं ?
*मच्छर* - आप तस्वीर का सिर्फ एक पहलू देख रहे हैं. हमारी वजह से कई लोगों को लाभ भी होता है, ये शायद आपको पता नहीं ! 



जाइये इन दिनों किसी डॉक्टर, केमिस्ट या पैथोलॉजी लैब वाले के पास, उसे आपसे बात करने की फ़ुर्सत नहीं होगी.
अरे भैया, उनके बीवी-बच्चे हमारा ‘सीजन’ आने की राह देखते हैं, ताकि उनकी साल भर से पेंडिंग पड़ी माँगे पूरी हो सकें. क्या समझे आप ?
हम देश की इकॉनोमी बढाने में महत्त्वपूर्ण योगदान कर रहे हैं, ये मत भूलिएगा !
*रिपोर्टर* - परन्तु मर तो गरीब रहा है न, जो इलाज करवाने में सक्षम ही नहीं है ?
*मच्छर* - हाँ तो गरीब जी कर भी क्या करेगा ? जिस गरीब को आप अपना घर तो छोडो, कॉलोनी तक में घुसने नहीं देना चाहते, उसके साथ किसी तरह का संपर्क नहीं रखना चाहते, उसके मरने पर तकलीफ होने का ढोंग करना बंद कीजिये आप लोग.
*रिपोर्टर* - आपने दिल्ली में कुछ ज्यादा ही कहर बरपा रखा है ?
*मच्छर* - देखिये हम पॉलिटिशियन नहीं हैं जो भेदभाव करें … हम सभी जगह अपना काम पूरी मेहनत और लगन से करते हैं.
दिल्ली में हमारी अच्छी परफॉरमेंस की वजह सिर्फ इतनी है कि यहाँ हमारे काम करने के लिए अनुकूल माहौल है.
केंद्र और राज्य सरकार की आपसी जंग का भी हमें भरपूर फायदा मिला है.
*रिपोर्टर* - खैर, अब आखिर में आप ये बताइये कि आपके इस प्रकोप से बचने का उपाय क्या है ?
*मच्छर* - उपाय तो है अगर कोई कर सके तो … लगातार सात शनिवार तक काले-सफ़ेद धब्बों वाले कुत्ते की पूँछ का बाल लेकर बबूल के पेड़ की जड़ में बकरी के दूध के साथ चढाने से हम प्रसन्न हो जायेंगे और उस व्यक्ति को नहीं काटेंगे !
*रिपोर्टर* - आप उपाय बता रहे हैं या अंधविश्वास फैला रहे हैं ?
*मच्छर* - दरअसल आम हिन्दुस्तानी लोग ऐसे ही उपायों के साथ comfortable फील करते हैं !
उन्हें विज्ञान से ज्यादा कृपा में यकीन होता है….
वैसे सही उपाय तो साफ़-सफाई रखना है, जो रोज ही टीवी चैनलों और अखबारों के जरिये बताया जाता है, पर उसे मानता कौन है ?
अगर उसे मान लिया होता तो आज आपको मेरा interview लेने नहीं आना पड़ता … !!!

Saturday, September 24, 2016

देख पगली दिल मेँ प्यार होना चाहिए… धक-धक तो Royal Enfield भी करता है!
Vo IShQ hi kYa.. Jo Aankho Se na Tapke!
‎लाख‬ दिये ‪‎जलाले‬ अपनी ‪‎गली‬ मे..? मगर ‪रोशनी‬ तो ‪हमारे‬ आने से ही ‪‎होगी‬.
Sahara dudhne ki adat Humari nhi, Hum akele hi puri mehfil ke baraber hai.
इंसान सिर्फ आग से नहीं जलता, कुछ लोग तो हमारे अंदाज से जल जाते है।
गहरी साज़िशों का दौर है, उनके गिरेबान में झाँकते रहिये..
रेल मंत्री से बस एक ही गुज़ारिश है, मग्गे की चेन लंबी कर दें.
जब स्टेटस कॉपी होने लग जाए तो समझ लो तरक्की कर रहे हो .
जीवन की एक सच्चाई ये भी है कि हमेशा ट्रैफिक बराबर वाली लेन में तेज़ चलता है.
तेरे साथ भी तेरा था... तेरे बिन भी तेरा ही हूँ...
हमसफ़र खूबसूरत नहीं.. सच्चा होना चाहिए .
आप जिस पर आँख बंद करके भरोसा करते हैं, अक्सर वही आप की आँखें खोल जाता है.
अभी तो इश्क़ हुआ है... 'मंज़िल' तो मयखाने में मिलेगी...!!!
खवाहिश नही मुझे मशहुर होने की ... आप मुझे पहचानते हो बस इतना ही काफी है...
कमज़ोर पड़ गया है मुझसे तुम्हारा ताल्लुक ...या कहीं और सिलसिले मजबूत हो गए हैं..
आइना जब भी उठाया करो.. "पहले देखो"...फिर "दिखाया करो".!!
चल पड़े है फ़िकरे यार धुएं में उडा के
मेरी नीम सी ज़िन्दगी शहद कर दे... कोई मुझे इतना चाहे की हद कर दे...
प्यार का रिश्ता भी कितना अजीब होता है। मिल जाये तो बातें लंबी और बिछड़ जायें तो यादें लंबी।
सरकार को पाकिस्तान के आतंकवाद का जवाब देना अनिवार्य नहीं है।। लेकिन.. सेटअप बॉक्स लगाना अनिवार्य हैं..!!
अचानक Wi-Fi सिग्नल बंद हो गये... लगता है कि... पडोसी ने बिल नहीं भरा...!!
हमारा कत्ल करने की उनकी साजीश तो देखो...... गुजरे जब करीब से तो चेहरे से पर्दा हटा लिया....
एक शराब की बोतल दबोच रखी है.... तुजे भुलाने की तरकीब सोच रखी है.....
Baat aakhon ki suno dil mein utar jaati hai.. Zubba ka kya kabhi bi mukkar jaati hai
Ek hasin Jheel Nazar aati hai tumhari aankhen... Dil se kitni baate kar jaati hai tumhari aankhen...
Raaz Khol Dete Hain Nazuk Se Ishaare Aksar.. Kitni Khamosh Mohabbat Ki Zubaan Hoti Hai..
Aapki Aankho Mai Aaj Nami Dekhi. Tumhari Jindagi Ke Liye Kisi Ki Kami Dekhi
Naino kee mat suniyo re.. Naino kee mat suniyo.. Naina thag lenge.
इश्क करो तो आयुर्वेदिक वाला करो... फायदा ना हो तो नुक़सान भी ना हो...




लोग रोज नसें काटते हैं प्यार साबित करने के लिये, लेकिन कोई सूई भी नही चुभने देता.. "रक्त दान" के लिए।
ज़िन्दगी के हाथ नहीं होते.. लेकिन कभी कभी वो ऐसा थप्पड़ मारती हैं जो पूरी उम्र याद रहता है
तुम्हारा दिल है या किसी मंत्री का इस्तीफा, कब से मांग रहा हूँ, दे ही नहीं रही हो..
शर्म की अमीरी से इज्जत की गरीबी अच्छी है ..
इस दुनियाँ में सिर्फ बिना स्वार्थ के माँ बाप ही प्यार कर सकते हैं ..
दिल मेरा उसने ये कहकर वापस कर दिया... दुसरा दिजीए... ये तो टुटा हुआ है....!!?!!
कुछ रिश्ते मुनाफा नहीं देते, पर अमीर जरूर बना देते हैं.
शाम को थक कर टूटे झोपड़े में सो जाता है वो मजदूर, जो शहर में ऊंची इमारतें बनाता है....
अमीर की बेटी पार्लर में जितना दे आती है, उतने में गरीब की बेटी अपने ससुराल चली जाती है....
कल एक इन्सान रोटी मांगकर ले गया और करोड़ों कि दुआयें दे गया, पता ही नहीँ चला की, गरीब वो था की मैं....
दीदार की तलब हो तो नजरें जमाये रखना .. क्यों कि 'नकाब' हो या 'नसीब' सरकता जरूर है...
गठरी बाँध बैठा है अनाड़ी, साथ जो ले जाना था वो कमाया ही नहीं
मैं उस किस्मत का सबसे पसंदीदा खिलौना हूँ, वो रोज़ जोड़ती है मुझे फिर से तोड़ने के लिए....
जिस घाव से खून नहीं निकलता, समझ लेना वो ज़ख्म किसी अपने ने ही दिया है..
बचपन भी कमाल का था खेलते खेलते चाहें छत पर सोयें या ज़मीन पर, आँख बिस्तर पर ही खुलती थी...
हर नई चीज अच्छी होती है लेकिन दोस्त पुराने ही अच्छे होते है....
ए मुसीबत जरा सोच के आ मेरे करीब कही मेरी माँ की दुवा तेरे लिए मुसीबत ना बन जाये....
खोए हुए हम खुद हैं, और ढूंढते भगवान को हैं...
अहंकार दिखा के किसी रिश्ते को तोड़ने से अच्छा है की,माफ़ी मांगकर वो रिश्ता निभाया जाये....
जिन्दगी तेरी भी, अजब परिभाषा है..सँवर गई तो जन्नत, नहीं तो सिर्फ तमाशा है...
खुशीयाँ तकदीर में होनी चाहिये, तस्वीर मे तो हर कोई मुस्कुराता है...
हम तो पागल हैं शौक़-ए-शायरी के नाम पर ही दिल की बात कह जाते हैं और कई इन्सान गीता पर हाथ रख कर भी सच नहीं कह पाते है…
जिंदगी में वही लोग कामयाबी के शिखर को छुते है... जो बचपन में साइकिल की चैन उतरते ही तुरंत उल्टा पैडल मारकर चढ़ा लिया करते थे!!!
न जाने क्या मासूमियत है तेरे चेहरे पर.. तेरे सामने आने से ज़्यादा तुझे छुपकर देखना अच्छा लगता है..!
जो इंसान प्रेम मेँ निष्फल होता है, वो जिदगी मे सफल होता है..
हम अपना ‪#‎status‬ दिलो पर ‪#‎update‬ करते है ‪#‎facebook‬ पर नहीं|
ज़िंदगी भी विडियो गेम सी हो गयी है, साला एक लैवल क्रॉस करो तो अगला लैवल और मुश्किल आ जाता हैं..
मेरे दोस्त केहते हैं तुम्हारे सब #StatuS एक नंबर रेहते हैं मैने कहा २ नंबर के काम मैने कभी किया ही नहीं|
वो कहते है कि हमे मोहब्बत है आपसे हमने भी कह दिया जा झूठी प्यार का पंचनामा -2 देखी है हमने
जिंदगी मै सिर्फ़ दो ही नशा करना, जीने के लिए यार और मरने के लीये प्यार..
कुछ लोग मुझे अपना कहा करते थे.. सच कहूँ तो वो सिर्फ कहा करते थे..

Wednesday, September 21, 2016

ये चुटकी भर सिन्दूर सात जन्मों का साथ है!
जो अहसास दिलाता है कि कोई है जो तुम्हारे हर दुःख में आसपास है!

ये सिंदूर नही तुम्हारी सामाजिक हिम्मत है!
जो तुम्हे देता हर मंजर पर ताकत है!!

इस सिन्दूर के अहसास को कम नही आंकना!
इसे अपनी जिम्मेदारियो का बोझ मत समझना!!

ये सिन्दूर बोझ नही तुम्हारी नैतिक जिम्मेदारी है!
इस सिन्दूर में झलकती एक भारतीय नारी है!!

इस सिन्दूर ने ही भगवान विष्णु को पत्थर सा बनाया था!
सती मईया ने अपने पति को ज़िंदा करवाया था!!

ये सिन्दूर ही है जो सबसे सुंदर नारी का सृंगार है!
ये सिर्फ सिन्दूर ही नही नारीत्व का आकार है!!



Monday, September 19, 2016

हमारी त्वचा काफी संवेदनशील होती है इसलिए उस पर तरह- तरह के मेकअप प्रोडक्ट आअैर केमिकल से भरे हुए प्रोडक्ट ना लगाएं तो अच्छा है. चेहरे पर हमेशा प्राकृति रूप से बने पदार्थ ही लगाने चाहिए, जिससे स्किन को कोई नुकसान ना पहुचे.



आपकी किचन शेल्फ पर ऐसी कई सामग्रियां रखी हुई हैं, जिसे आप उपयोग कर के अपने चेहरे पर तुरंत ग्लो ला सकती हैं. चेहरे पर ग्लो लाना इतना मुश्किल नहीं है यदि आप प्राकृति चीजों का इस्तमाल करें तो, ऐसे कई तरीके हैं जिससे आप स्मूथ और शाइनी त्वचा पा सकती हैं.
घरेलू नुस्खे जो आपका चेहरा बना दे गोरा तो अगर आपको लेट नाइट पार्टी में जाना हो या फिर वीकेंड पार्टी में तो, चेहरे पर नेचुरल ग्लो ला कर ग्लैमरस दिख सकती हैं. आइए जानते हैं कुछ ऐसे आसान से प्राकृतिक तरीके जिससे आप चेहरे पर झट से ग्लो ला सकती हैं.
नींबू
नींबू इसमें एंटी टैनिंग प्रॉपर्टी होती है इसे काले धब्बे पर 10 मिनट तक लगा कर रखने के बाद आपको चमकती हुई त्वचा मिलेगी.
शहद नींबू और शहद
शहद नींबू और शहद एक अच्छा मिश्रण है जिसे लगाने से आपकी त्वचा चमक उठेगी.
खीरे का रस
खीरे का रस शहद रूखी त्वचा के लिये अच्छा होता है. इससे आप पैक के रूप में भी लगा सकती हैं. ऑइली स्किन पर दूध और शहद लगाएं, जिससे चेहरे पर चमक आएगी.
ओटमील पैक
ओटमील पैक ओटमील को नींबू और हल्दी के साथ मिक्स कर के लगाएं. इस पेस्ट को चेहरा धोने से पहले लगाएं. इससे चेहरे की गंदगी साफ होगी.
केला
केला यह आपकी सेहत के लिये तो अच्छा ही है साथ ही इससे त्वचा स्वस्थ भी नजर आती है. इसमें बहुत सारा मिनरल होता है जो चेहरे पर तुरंत ग्लो लाता है.
टमाटर
टमाटर यह स्किन लाइटनिंग एजेंट है. यह चेहरे से तेल सोख लेता है और खुले पोर्स को ठीक करता है. इससे चेहरे पर तुरंत ग्लो भी आता है.
फ्रूट पैक
फ्रूट पैक अवाकाडो, पपीता और खीरे का पेस्ट बना लें और उसे चेहरे पर 20 मिनट तक लगाएं. इसके बाद चेहरे को धो लें.
एग पैक
एग पैक अंडे से चेहरे के दाग बड़ी ही जल्दी जाते हैं. इसे चेहरे पर कुछ देर तक रखें और जब यह सूख जाए तब इसे ठंडे पानी से धो लें.
मसाज
गरम तेल से मसाज शरीर की गरम तेल से मसाज करना अच्छी बात है. तेल में नीम और तुलसी की पत्तियां गरम करें और मालिश करें. इससे खून का प्रवाह तेज होगा और टैनिंग भी मिटेगी.
दूध, तेल और नींबू मिल्क पावडर, नींबू रस और बादाम तेल आपकी त्वचा का रंग निखार सकते हैं.
आलू चमकदार चेहरा पाने के लिये ये एक प्राकृतिक तरीका है.
आलू
आलू से चेहरा ब्लीच हो जाता है. एक आलू को बीच से काट कर से पूरे चेहरे पर लगा सकती हैं.
चंदन
चंदन और हल्दी पेस्ट से आप अपने चेहरे को रातों रात निखार सकती हैं. इस पेस्ट में बादाम का तेल भी मिक्स किया जा सकता है.

Thursday, September 8, 2016

मेरी प्यारी प्यारी दादी,
सबसे सुंदर न्यारी.
जो मैं कहता वो सुनती है,
सारी बात हमारी.
मुंह के भीतर दांत नहीं है.
कुछ ऊँचा भी सुनती.
दुबले पतले हाथों से वह,
स्वेटर मेरा बुनती.
छोटे छोटे कौर बना कर,
मुझको सदा खिलाती.
राजा रानी वाले किस्से,
मुझको रोज सुनाती.
मम्मी मुझे मारती है जब,
दादी मुझे बचाती.


बड़े प्यार से हाथ फेरती,
अपने पास सुलाती.
Happy Grandparents Day!
अकल खाती है ग़म,
दादा जी कभी सिखाते थे,
पर उस समय बात उनकी,
हम समझ नहीं पाते थे,
आज जब ज़िन्दगी के हम,
उतार चढ़ाव देखते हैं,
हर मोड़ पर संयम रखने की,
कोशिश में लगे रहते हैं,
तब दादा जी याद,
हमे बहुत आते हैं,
दादा जी के अनुसार जिसकी
जेब में पैसा है, मुंह में जुबान,
पहुँच सकता है किसी भी,
मंज़िल पर वह इंसान!
Happy National Grandparents Day!

Sunday, August 28, 2016


नज़र को तेरी
जुस्तजू चाहिए है
नहीं और कुछ 
आरज़ू चाहिए है

समंदर जज़ीरे 
फलक चाँद सूरज
तुम्हारी महक 
कू- ब- कू चाहिए है


मुझे इश्क़ करने 
को सूरत कोई सी
तुम्हारी तरह 
हू- ब- हू चाहिए है

दुआ ही नहीं कुछ 
असर भी मिले अब
मरीज़े- मुहब्बत 
को तू चाहिए है

Friday, August 26, 2016

 
बस तू नजर आये

जब भी याद करू खुदा को ,
बस तू नजर आये

कि तुझमे मुझे अपना खुदा नजर आये ।

ये कैसी हवाये चलने लगी हैं , 
आज कल



कि हर झोके में लिपटा मुझे तेरा प्यार नजर आये ।

कभी उदासी तो कभी ख़ुशी ,
कैसा भी वक्त हो

तेरे साथ हर पल में मुझे जन्नत नजर आये ।

कैसे कहूं कि मुझे मोहब्बत नहीं है तुमसे

कि मुझे हर चेहरे में बस तेरा चेहरा नजर आये ।

Thursday, August 25, 2016

सहती रहो माँ ने कहा था।

सहती जाओगी तो धरती कहलाओगी दादी ने कहा।
फिर वो भी कभी बही सरिता बन
कभी पहाड़ हो गई कभी किसी अंकुर की माँ हो गई
पर मुँह से एक शब्द भी नहीं निकाला।






एक स्त्री से अन्य तक पहुँची यही बात

सब अपनी-अपनी जगह होती चली गई जड़वत्
बनती चली गई धरती जैसी।


हर धरती के आसपास रहा कोई चाँद
तपिश भी देता रहा कोई सूरज
तब से पूरा का पूरा

सौर मंडल साथ लिए घूमने लगी है स्त्री ।
9 अगस्त को तकरीबन 5 बजे देवघर के बेलाबगान इलाके के मंदिर के पास कतार में लगे कांवरिये अफरातफरी मचाने लगते हैं. जल्दी जल चढ़ाने की होड़ में पुलिस के घेरे और अनुशासन को तोड़ डालते हैं और उस के बाद शुरू हुई धक्कामुक्की भगदड़ में बदल जाती है. देखते ही देखते ‘बोल बम’ का जयकारा चीखपुकार में बदल जाता है. हर ओर से रोने और चिल्लाने की आवाजें आने लगती हैं. शिव को जल चढ़ाने के लिए 100 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी पैदल तय कर के देवघर पहुंचे अंधभक्ति में डूबे कांवरियों की जान तथाकथित ईश्वर शिव भी नहीं बचा सके. धर्म के नाम पर लगने वाले मजमों में भगदड़ मचना अब नई बात नहीं रह गई है. सरकार और प्रशासन के खासे बंदोबस्त के बावजूद भगदड़ मचती है और बेतहाशा मौतें होती हैं. ऐसी भगदड़ों के पीछे पोंगापंथियों का उपद्रव ही होता है. भीड़ में होने की वजह से वे किसी की सुनते नहीं और अपनी मनमानी करते हैं.

हर साल सावन के महीने में बिहार के भागलपुर जिले के सुल्तानगंज कसबे से कांवर ले कर लोग पैदल झारखंड में देवघर शहर के शिवमंदिर तक जाते हैं. सुल्तानगंज में गंगा नदी उत्तरवाहिनी है. सुल्तानगंज में अजगैबीनाथ मंदिर में पूजा करने के बाद गंगा का पानी ले कर लोग 110 किलोमीटर पैदल चल कर देवघर के शिवमंदिर तक पहुंचते हैं. सुल्तानगंज से ले कर देवघर तक अंधविश्वास का खुला खेल चलता है. भगवा रंग के कपड़े पहने और कंधे पर कांवर उठाए ज्यादातर शिवभक्त खुद को किसी बादशाह से कम नहीं समझते हैं. रास्ते में कानून की धज्जियां उड़ाना और मनमानी करना उन का शगल होता है. कांवरियों की भीड़ में चलने वाले अधिकतर लोग पूजा के नाम पर पिकनिक का मजा लूटते हैं.

8 अगस्त को सुल्तानगंज में कांवरियों की टोली में शामिल होने के बाद मुझे यह स्पष्ट हो गया कि ज्यादातर कांवरियों को पूजापाठ से कोईर् मतलब नहीं होता है. वे तो भीड़ में शामिल हो कर मजे लूटते हैं और डीजे के कानफाड़ू संगीत में लड़कियों व औरतों पर फब्तियां कसते हैं. धर्म और अंधविश्वास के सागर में सिर तक डूबे कांवरिये ‘बोल बम’ का नारा लगाते हुए शरारती कांवरियों की बदमाशियों को यह कह कर अनदेखा कर देते हैं कि लफंगों की करतूतों को भगवान देख रहा है, वही सबक सिखाएगा . कांवर यात्रा के दौरान तारपुर के पास मिले पटना सिविल कोर्ट के वकील प्रवीण कुमार बताते हैं कि कांवरियों की भीड़ में कई लुच्चेलफंगे शामिल रहते हैं, जिन का मकसद छींटाकशी और छेड़खानी करना ही होता है. ऐसे ही लोगों की वजह से उपद्रव और भगदड़ का माहौल पैदा हो जाता है. कांवरिये यह दिखाने की कोशिश करते हैं कि वे भगवान के भक्त हैं और गंगा का पवित्र जल ले कर शिवलिंग पर चढ़ाने जा रहे हैं. लेकिन टोली में ज्यादातर लोग भांग, गांजा और खैनी के नशे में रहते हैं. जहांतहां रुक कर गांजा और भांग पी कर ये कांवरिये नशे में बौराते दिख जाते हैं.

पूर्णियां के भट्ठा बाजार महल्ले में रहने वाले प्रौपर्टी डैवलपर उमेशराज सिंह बताते हैं कि वे पिछले 12 सालों से हर साल कांवर ले कर देवघर जाते हैं और हर साल कांवरियों की मनमौजी व नशा करने की लत को देखते रहे हैं. किसी कांवरिये को जब गांजा और भांग आदि पीने से मना किया जाता है तो वह एक ही जबाब देता है कि शिव के भक्त नशा नहीं करेंगे तो शिव प्रसन्न ही नहीं होंगे. कांवरियों की कांवर यात्रा के बीच इस बात का भी खुलासा हुआ है कि कांवर के नाम पर धर्म की दुकान चलाने वालों के कारोबार व मुनाफे  में कंपनी, होलसैलर, दुकानदार से ले कर पंडों तक की हिस्सेदारी होती है. कांवरिया अपने साथ टौर्च, 2 जोड़ी कपड़े, गमछा, तौलिया, चादर, मोमबत्ती, माचिस, गिलास, लोटा, कांवर आदि ले कर चलता है. यात्रा के लिए ये सभी चीजें नई ही खरीदी जाती हैं. पुराने कपड़ों या गिलास आदि का उपयोग नहीं किया जाता है.

एक कांवरिये को कम से कम 2 हजार रुपए का सामान खरीदना पड़ता है. एक महीने में करीब 60 लाख कांवरिये देवघर जाते हैं. इस लिहाज से हिसाब करें तो कांवरिये करीब 1,200 करोड़ रुपए की खरीदारी एक महीने के अंदर ही करते हैं. इस के अलावा चूड़ा, इलायचीदाना, बद्धी (सूत की माला) आदि को खरीदने पर एक कांवरिया कम से कम 500 रुपए खर्च करता है. इस के बाजार का आकलन करें तो यह 3 हजार करोड़ रुपए का होता है. इस के अलावा कांवर के बगैर भी देवघर पहुंच कर शिवलिंग पर जल चढ़ाने वालों का अलग ही आंकड़ा है. पोंगापंथ के नाम पर लोग 20 हजार करोड़ रुपए लुटा देते हैं. कांवरयात्रा के साथ जब जलेबिया इलाके में पहुंचे तो वहां लूट और ठगी का अलग ही नजारा देखने को मिला. सड़कों के किनारे खाली पड़ी सरकारी जमीनों पर जहांतहां शामियाने डाल कर स्थानीय दबंग कांवरियों को सोने के लिए जगह बेचते हैं. शामियाने के अंदर सोने के लिए जमीन देने के नाम पर हर कांवरिये से 50 रुपए वसूले जाते हैं. एक गिलास शरबत की कीमत 20 से 25 रुपए तक वसूली जाती है. धर्म के नाम पर आंखें बंद कर अपनी मेहनत की कमाई को लुटा कर कांवरिये इसी भ्रम में रहते हैं कि उन की तपस्या से खुश हो कर भगवान उन की हर कामना को पूरा कर देंगे, उन के घर पर धनदौलत की बारिश होगी और घरपरिवार में कोई समस्या नहीं रहेगी.
जलेबिया से 8 किलोमीटर आगे चलने के बाद तागेश्वर इलाका आता है. वहां पर सड़क के किनारे कांवर रखने के लिए बांस का स्टैंड बना हुआ है. पोंगापंथियों का मानना है कि कांवर में गंगा नदी के पानी से भरा लोटा या डब्बा लटका होता है, इसलिए कांवर को जमीन पर नहीं रखना चाहिए, इस से गंगा का पानी अपवित्र हो जाता है. पंडेपुजारी ही धर्म की किताबों व प्रवचनों में ढोल पीटते रहे हैं कि गंगा का पानी हर अपवित्र चीज को पवित्र कर देता है. गंगा का पानी समाज की हर गंदगी को बहा ले जाता है. ऐसे में गंगा के पानी से भरे डब्बे को जमीन पर केवल रखने मात्र से वह पानी अपवित्र कैसे हो जाता है? मुजफ्फरपुर के कांटी इलाके की कांवरिया रुक्मिणी शर्मा से जब इस बारे में पूछा तो वे कहती हैं कि गंगा का पानी जमीन पर रखने से अपवित्र न हो, इसलिए कांवर को जहांतहां नहीं रख देना चाहिए. देवघर के शिवमंदिर में गंगाजल चढ़ाने के लिए 8-10 किलोमीटर लंबी कतार लग जाती है. 337 वर्गमीटर में फैले करीब ढाई लाख की आबादी वाले देवघर शहर में सावन महीने में हर दिन 2 लाख से ज्यादा कांवरिये पहुंचते हैं. ऐसे में प्रशासन के लिए कांवरियों की भीड़ को कंट्रोल करना बहुत बड़ी मुसीबत होती है. सावन में कांवर यात्रा के दौरान दुकानदारों, फुटपाथी दुकानदारों, होटलों और ढाबों को चलाने वालों की तो मानो लौटरी निकल पड़ती है.

देवघर के घंटाघर के पास छोटा सा ढाबा चलाने वाला एक व्यक्ति कहता है कि सावन के महीने का इंतजार तो देवघर के कारोबारी पूरे साल करते हैं. बाकी महीनों में जहां 20 से 30 हजार रुपए की आमदनी हर महीने होती है, वहीं केवल सावन में ढाई से 3 लाख रुपए की कमाई हो जाती है. 200 रुपए के कमरे के लिए लोग हजार रुपए तक देने में नानुकुर नहीं करते. क्योंकि उस दौरान किसी भी होटल में आसानी से जगह नहीं मिल पाती है. एक घंटे के लिए फ्रैश होने के लिए लोग 400 से 500 रुपए आसानी से दे देते हैं. वहीं दूसरी ओर, शहरवासियों के लिए पूरा महीना फजीहत से भरा होता है. देवघर में हर सड़क, गली, चौराहे पर जाम का नजारा रहता है. देवघर के रहने वाले राजीव पांडे कहते हैं कि सावन के महीने में कांवरियों की भीड़ की वजह से सड़कों पर चलना मुहाल हो जाता है. दफ्तर, स्कूल, मार्केट, अस्पताल आदि जाने में पसीने छूट जाते हैं. कंधे पर कांवर ले कर पता नहीं लोग खुद को क्या समझ लेते हैं, कोई गाड़ी कितना भी हौर्न बजाए, कांवरिये रास्ता नहीं छोड़ते हैं.
बुरा समय बीत जाता है लेकिन, बुरे लोग मुश्किलों में साथ देने की महँगी कीमत वसूलते हैं. 
इसलिए हमें खुद को इतना सक्षम बनाना चाहिए कि बुरे वक्त में भी किसी बुरे व्यक्ति की मदद न लेनी पड़े.

कर्ण ने बुरे समय में दुर्योधन की सहायता ली थी, 
इसलिए वह दुर्योधन का ऋणी बन गया.

दोस्ती की भी एक मर्यादा होती है और हमें उस मर्यादा को कभी नहीं टूटने देना चाहिए. 
क्योंकि मर्यादा टूटने के बाद दोस्ती दुश्मनी में बदल जाती है.

अगर आपके पास एक भी सच्चा दोस्त है, 
तो मुश्किलों का सामना आप आत्मविश्वास से करेंगे.


दोस्ती अपने उम्र वाले लोगों से हीं निभती है, 
बेमेल दोस्ती अतं में एक बुरी याद बन जाती है.

एक सच्चा दोस्त, सभी रिश्तेदारों पर भारी होता है.
बचपन की दोस्ती सबसे ज्यादा टिकती है.
किसी से दोस्ती करते वक्त चौकन्ने रहिए, 
क्योंकि कुछ लोग दोस्त बनकर पीठ में छूरा भोंकते हैं.

सफल वैवाहिक जीवन जीने वाले लोग आपस में बहुत अच्छे दोस्त होते हैं.
कई बार हमारे दुश्मन, हमें कुछ कर गुजरने के लिए मजबूर करते हैं.


जिन लोगों के पास बहुत ज्यादा दोस्त होते हैं, 
उनके पास कोई सच्चा दोस्त नहीं होता है. 
क्योंकि सच्चे दोस्त थोक के भाव पर नहीं मिलते हैं.

जो आपकी कमजोर नब्ज जानने के बावजूद, 
आपको परेशान न करें वही सच्चा दोस्त है. 
ऐसे दोस्त बहुत मिलते हैं,
इसलिए अपनी कमजोर नब्ज का किसी को पता न लगने दें, 
यही चिंतामुक्त रहने का मन्त्र है.

🎭गजब" "की" "बांसुरी" "बजती" "हैं"
"वृन्दावन" "में" "कन्हैया" "की"
"तारीफ" "करूँ" "मुरली" "की"
"या" "मुरलीधर" "कन्हैया" "की"
"जहाँ" "बस" "चलता" "न" "था"
"तीरों" "और" "कमानों" "से"
"वहां""जीत" "होती" "नटवर" "की"
"मुरली" "के". "तानों". "से"🎭

•""*•«#Զเधे_Զเधे¸¸.•*¨*



होंठों में बाँसुरिया चेहरे पर मुस्कान है।
दुःखो से उबार दे ऐसा मेरा श्याम है।।
जय श्री कृष्णा


Monday, August 8, 2016

अगर आप किसी को धोखा देने में कामयाब हो जाते हैं तो मान कर चलना की 
ऊपर वाला भी आपको धोखा देगा क्योकि उसके यहाँ हर बात का इन्साफ जरूर होता है
मुझे कौन याद करेगा इस भरी दुनिया में, 
हे ईशवर बिना मतल़ब के तो लोग तुझे भी याद नही करते
जिनमें संस्कारो और आचरण की कमी होती हैं वही लोग 
दूसरे को अपने घर बुला कर नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं
मेने कई अपनों को वास्तविक जीवन में शतरंज खेलते देखा है
जब आप गुस्सें में हो तब कोई फैसला न लेना 
और जब आप खुश हो तब कोई वादा न करना 

दुनिया में भगवान का संतुलन कितना अद्भुत हैं, 
100 कि.ग्रा.अनाज का बोरा जो उठा सकता हैं 
वो खरीद नही सकता और जो खरीद सकता हैं वो उठा नही सकता
 हँसते रहो तो दुनिया साथ हैं, वरना 
आँसुओं को तो आँखो में भी जगह नही मिलती
जो भाग्य में हैं वह भाग कर आयेगा और 
जो भाग्य में नही हैं वह आकर भी भाग जायेगा
घर आये हुए अतिथि का कभी अपमान मत करना, 
क्योकि अपमान तुम उसका करोगे और तुम्हारा अपमान समाज करेगा
कोई देख ना सका उसकी बेबसी 
जो सांसें बेच रहा हैं गुब्बारों मे डालकर
दुनिया में सिर्फ माँ-बाप ही ऐसे हैं 
जो बिना स्वार्थ के प्यार करते हैं
गलती कबूल़ करने और गुनाह छोङने में कभी देर ना करना, 
Q कि सफर जितना लंबा होगा वापसी उतनी ही मुशिकल हो जाती हैं

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