हिंदी शायरी

बहकते हुए फिरतें हैं कई लफ्ज़ जो दिल में दुनिया ने दिया वक़्त तो लिखेंगे किसी रोज़....

Thursday, August 25, 2016

Զเधे_Զเधे


🎭गजब" "की" "बांसुरी" "बजती" "हैं"
"वृन्दावन" "में" "कन्हैया" "की"
"तारीफ" "करूँ" "मुरली" "की"
"या" "मुरलीधर" "कन्हैया" "की"
"जहाँ" "बस" "चलता" "न" "था"
"तीरों" "और" "कमानों" "से"
"वहां""जीत" "होती" "नटवर" "की"
"मुरली" "के". "तानों". "से"🎭

•""*•«#Զเधे_Զเधे¸¸.•*¨*


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