अदा है, ख्वाब है, तकसीम है, तमाशा है;
मेरी इन आँखों में एक शख्स बेतहाशा है।
रोज़ आता है मेरे दिल को तस्सली देने,
ख्याल-ए-यार को मेरा ख्याल कितना है।
उम्र भर खाली यूँ ही दिल का मकाँ रहने दिया..तुम गए तो दूसरे को फ़िर यहाँ रहने दिया..
उम्र भर उसने भी मुझ से मेरा दुख पूछा नहीं..मैंने भी ख्वाहिश को अपनी बेज़बाँ रहने दिया ।
आज तेरी याद हम सीने से लगा कर रोये .. तन्हाई मैं तुझे हम पास बुला कर रोये
कई बार पुकारा इस दिल मैं तुम्हें और हर बार तुम्हें ना पाकर हम रोये....
“ओस की बूंदे है, आंख में नमी है, ना उपर आसमां है ना नीचे जमीन है
ये कैसा मोड है जिन्दगी का जो लोग खास है उन्की की कमी हैं ”
“हंसी ने लबों पर थ्रिकराना छोड दिया ख्बाबों ने सपनों में आना छोड दिया
नहीं आती अब तो हिचकीया भी शायद आपने भी याद करना छोड दिया ”
सोचा था इस कदर उनको भूल जाएँगे, देखकर भी अनदेखा कर जाएँगे,
पर जब जब सामने आया उनका चेहरा, सोचा एस बार देखले, अगली बार भूल जाएँगे……
सभी नगमे साज़ मैं गाये नहीं जाते … सभी लोग महफ़िल मैं बुलाये नहीं जाते …
कुछ पास रह कर भी याद नहीं आते … कुछ दूर रह कर भी भुलाये नहीं जाते …
न वो आ सके न हम कभी जा सके! न दर्द दिल का किसी को सुना सके!
बस बैठे है यादों में उनकी! न उन्होंने याद किया और न हम उनको भुला सके!
जीना चाहते हैं मगर ज़िन्दगी रास नहीं आती! मरना चाहते हैं मगर मौत पास नहीं आती!
बहुत उदास हैं हम इस ज़िन्दगी से! उनकी यादें भी तो तड़पाने से बाज़ नहीं आती!
तेरी आँखों में हमे जाने क्या नज़र आया! तेरी यादों का दिल पर सरुर है छाया!
अब हमने चाँद को देखना छोड़ दिया! और तेरी तस्वीर को दिल में छुपा लिया!
भुला ना पाओगी मेरा साथ तुम चाहे जितना आउंगा याद तुम्हें ख्वाब-ओ-खयालों मे
उतना शायद बिछड के चाहत और वासिक़ होती है यकीन ना आए तो कर के देख ये भी फितना
कलम चलती है तो दिल की आवाज लिखता हूँ; गम और जुदाई के अंदाज़-ए-बयां लिखता हूँ;
रुकते नहीं हैं मेरी आँखों से आंसू; मैं जब भी उसकी याद में अल्फाज़ लिखता हूँ।
इस दुनियाँ में सब कुछ बिकता है, फिर जुदाई ही रिश्वत क्युँ नही लेती?
मरता नहीं है कोई किसी से जुदा होकर, बस यादें ही हैं जो जीने नहीं देती..
याद किसी को करना ये बात नहीं जताने की! दिल पे चोट देना आदत है ज़माने की!
हम आपको बिल्कुल नहीं याद करते! क्योकि याद किसी को करना निशानी है भूल जाने की!
अश्को के मोती हम ने पिरोए तमाम रात, एक बेवफा की याद में रोए तमाम रात, ऐसी गिरी ज़ेहन पर यादो की बिजलियाँ,
बैठे रहे ख़यालो में खोए तमाम रात, कहने लगे वो सुन के मेरा हाल-ए दिल के बस मेरा, इतनी सी बात पे क्या रोए तमाम रात
तुम करोगे याद एक दिन इस प्यार के ज़माने को, चले जाएँगे जब हम कभी ना वापस आने को.
करेगा महफ़िल मे जब ज़िक्र हमारा कोई,,,, तो तुम भी तन्हाई ढूंढोगे आँसू बहाने को
दिल जब टूटता है तो आवाज नहीं आती! हर किसी को मुहब्बत रास नहीं आती!
ये तो अपने-अपने नसीब की बात है! कोई भूलता नहीं और किसी को याद भी नहीं आती!
रात हुई जब शाम के बाद! तेरी याद आई हर बात के बाद!
हमने खामोश रहकर भी देखा! तेरी आवाज़ आई हर सांस के बाद!
दिल तेरी याद में आहें भरता है! मिलने को पल पल तड़पता है!
मेरा यह सपना टूट न जाये कहीं! बस इसी बात से दिल डरता है!
ये मत कहना कि तेरी याद से रिश्ता नहीं रखा; मैं खुद तन्हा रहा मगर दिल को तन्हा नहीं रखा;
तुम्हारी चाहतों के फूल तो महफूज़ रखे हैं; तुम्हारी नफरतों की पीड़ को ज़िंदा नहीं रखा!
अगर यूँही ये दिल सताता रहेगा; तो इक दिन मेरा जी ही जाता रहेगा;
मैं जाता हूँ दिल को तेरे पास छोड़े; ये मेरी याद तुझको दिलाता रहेगा!
तुम अगर याद रखोगे तो इनायत होगी; वरना हमको कहां तुम से शिकायत होगी;
ये तो बेवफ़ा लोगों की दुनिया है; तुम अगर भूल भी जाओ जो रिवायत होगी!
सारी उम्र आंखो मे एक सपना याद रहा; सदियाँ बीत गयी पर वो लम्हा याद रहा;
ना जाने क्या बात थी उनमे और हममे; सारी महफ़िल भुल गये बस वह चेहरा याद रहा!
यादों की किम्मत वो क्या जाने; जो ख़ुद यादों को मिटा दिए करते हैं,
यादों का मतलब तो उनसे पूछो जो, यादों के सहारे जिया करते हैं!
यादों की किम्मत वो क्या जाने, जो ख़ुद यादों के मिटा दिए करते हैं,
यादों का मतलब तो उनसे पूछो जो, यादों के सहारे जिया करते हैं…
आज बहुत दिनों बाद मन में ये ख़याल आया क्या कोई इतना भी अपना हो सकता है,
कि ये दिल उसकी यादो को ही चुरा लाया,,,,,,
कभी गमो में डुबोकर रुलाया,कभी मीठी यादो ने आकर हँसाया!
इन यादो ने सबको पागल बनाया, इसने हर इंसान के दिल को रुलाया....
मैं जहां रहूं, मैं कहीं भी हूं, तेरी याद साथ है। किसी से कहूं, के नहीं कहूं, ये जो दिल की बात है।
कहने को साथ अपने, एक दुनिया चलती है। पर झुक के इस दिल में, तन्हाई पलती है। तेरी याद… साथ है, तेरी याद साथ है....
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